तीन तरफ से नदियों से घिरा यह शहर, जहाँ गंगा, यमुना और काल्पनिक सरस्वती नदी का संगम है. इस शहर का नाम प्रयागराज है. प्रयागराज जिसका प्राचीन नाम इलाहाबाद भी है. यह शहर भारत के प्राचीन शहरो में से एक है. अगर आप इलाहाबाद में घुमने कि प्लान बना रहे है तो यह ब्लॉग आपका सही मार्गदर्शन करेगी. इस ब्लॉग में हम पाँच प्रमुख प्रयागराज में घुमने कि जगह (prayagraj me ghumne ki jagah) के बारे में चर्चा करेगे.
इलाहाबाद का इतिहास (History of Prayagraj)
जब आर्य सबसे पहले भारत के उत्तर पश्चिम में आकर बसे तो वह हिस्सा प्रयाग ही था. प्रयागराज का प्राचीन नाम इलाहबाद था जिसे मुगलों के द्वारा रखा गया था. और इससे भी प्राचीन नाम प्रयाग था.
प्रयाग मतलब दो नदियों का संगम. प्रयाग भारत का मात्र एक ऐसा शहर है जो तीन तरफ से नदियों से घिरा हुआ है. जो इस शहर कि शोभा बढ़ाती है. भारत के सबसे लम्बी नदी गंगा और यमुना नदी का संगम इसी शहर में होता है.
प्रयागराज जिसे देवो कि भूमि कहा जाता है. महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार भगवान राम जब अयोध्या से वनवास के लिए जा रहे थे तो प्रयाग स्थित भारद्वाज ऋषि के आश्रम होते हुए वनवास को गये थे.
प्रयाग पर मुगलों का प्रभाव
प्रयाग शहर लम्बे समय तक मुगलों के अधीन रहा. 1583 में अकबर ने एक विशाल किले का निर्माण किया था। यह किला संगम के पास स्थित है, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। इस किले अन्दर ही अशोक का स्तंभ भी है, जो मौर्य काल का है।
इलाहाबाद नामकरण
प्रयाग शहर का नाम अकबर के द्वारा बदलकर इलाहाबाद रखा गया था. जिसका जिसका अर्थ है “अल्लाह का शहर”। इस शहर का यह नाम लम्बे समय तक रहा. फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा इसे बदल कर प्रयागराज कर दिया.
प्रयागराज के इतिहास को जानने के बाद अब हम प्रयागराज (इलाहाबाद) में घुमने के प्रमुख जगहों के बारे में चर्चा करेगे. अगर आप प्रयागराज विजिट करने का प्लान बना रहे है तो आपके इन जगहों पर जरुर विजिट करना चाहिए.
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प्रयागराज में घुमने के प्रमुख जगहों की लिस्ट(Tourist Place in Prayagraj)
प्रयागराज का त्रिवेणी संगम – Triveni Sangam in Prayagraj
हिन्दू धर्म के लिए त्रिवेणी संगम बहुत ही प्रमुख स्थान है जहाँ तीन नदियों गंगा यमुना और सरस्वती का संगम होता है. त्रिवेणी संगम वह जगह है जहाँ हर वर्ष मेला लगता है. यहाँ प्रत्येक 6 वर्षों में कुंभ मेला और प्रत्येक बारह वर्षों में महाकुंभ मेला का आयोजन किया जाता है, जोकि तीर्थयात्रियों के लिए सबसे बड़ा आयोजन होता हैI इन्ही आयोजनो के कारण प्रयागराज को संगम सिटी के नाम से भी पुकारा जाता है.
हिन्दू धर्म के अनुसार अगर कोई यहाँ आकर गंगा नहा ले तो उसके जन्मो के पाप धुल जाते है, जिसके चलते पूरे भारत से बड़ी संख्या में log गंगा नहाने आते है.
अगर आप त्रिवेणी संगम विजिट करते है तो इन सब के साथ आप पानी में बोटिंग, नाव कि सवारी करते हुए गंगा और यमुना के संगम को करीब से देखने का लुफ्त उठा सकते है. जो अपने आप शानदार अनुभव है.
त्रिवेणी संगम से जुड़ी कुछ प्रमुख जानकारी
स्थान | प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत |
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नदियाँ | गंगा, यमुना, सरस्वती (पौराणिक) |
महत्व | हिंदू धर्म में पवित्र संगम |
धार्मिक आयोजन | कुंभ मेला (हर 12 वर्ष में) |
अर्ध कुंभ मेला (हर 6 वर्ष में) | |
गतिविधियाँ | पवित्र स्नान, धार्मिक अभिषेक |
प्रसिद्ध समय | कुंभ मेला और अन्य धार्मिक उत्सवों के दौरान |
पर्यटन | तीर्थयात्री और पर्यटकों को आकर्षित करता है |
इलाहाबाद संग्रहालय (Allahabad Museum)
इलाहाबाद संग्रहालय (Allahabad Museum), प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद पार्क में स्थित है. इसकी स्थापना 1931 में की गयी थी. इस संग्रहालय की प्रमुख आकर्षण रॉक मूर्तियां, राजस्थानी लघु चित्र, कौशाम्बी टेराकोटा, बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट साहित्य और कला से जुड़ी हुई कई चीजें शामिल हैंI
इलाहाबाद संग्रहालय सुबह 10 बजे से लेकर शाम के 5:30 बजे तक घूम सकते है. अगर आप भारतीय है तो आपको 50 रूपये का शुल्क और अगर आप विदेशी है तो आपको 100 तक का शुल्क देना पड़ेगा.
इलाहाबाद संग्रहालय (Allahabad Museum से जुड़ी कुछ प्रमुख जानकारी
स्थान | प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत |
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स्थापना | 1931 |
प्रमुख संग्रह | ऐतिहासिक वस्तुओं, पुरातत्विक खोज, कला प्रदर्शन |
प्रमुख आकर्षण | बुद्धिस्त और हिन्दू कला के अद्वितीय प्रदर्शन |
अन्य विशेषताएँ | जातीय अंतर्राष्ट्रीय पुरातत्विक स्थल |
महत्वपूर्ण समय | सांस्कृतिक यात्रा और शोध प्रोत्साहन केंद्र |
आनन्द भवन (Anand Bhavan)
आनन्द भवन (Anand Bhavan) की स्थापना 1930 में नेहरू परिवार के द्वारा किया गया था. इस भवन का निर्माण मोती लाल नेहरू ने अपने परिवार को रहने हेतु किया था. जो बद्द में आनंद भवन के नाम से मशहूर हुआ. इस भवन की विशेषता इसकी आकर्षक डिजाईन है. इसके साथ इस भवन में विदेशी फर्नीचर और कुछ प्राचीन सामानों से सजाया गया है.
1970 में इंदिरा गांधी द्वारा हवेली को भारत सरकार को दान कर दिया गया था तभी से इस भवन का पूरा अधिकार भारत सर्कार के हाथो में आ गया है. अगर आप पप्रयागराज विजिट करे तो आप आनन्द भवन (Anand Bhavan) घूम सकते है. यहाँ आपको नेहरू-गांधी परिवार के रहन सहन के साथ स्वतंत्रता सेनानियों को बारे में बहुत कुछ देखने को मिलेगा.
अगर आप भारतीय है तो आपको आनंद भवन घुमने के लिए 50 रूपये और अगर विदेशी है तो 150 तक लग सकते है.
आनन्द भवन (Anand Bhavan) से जुड़ी कुछ प्रमुख जानकारी
स्थान | प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत |
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नेतृत्व | नेहरू-गांधी परिवार की मूल आवासीय भवन |
स्थापना | 1930 |
प्रमुख आकर्षण | नेहरू परिवार और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े वस्तुओं का संग्रह |
अन्य विशेषताएँ | राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्मारक |
महत्वपूर्ण समय | स्वतंत्रता संग्राम की धार्मिक यात्रा |
अलोपी देवी मन्दिर (Alopi Devi Mandir)
अलोपी देवी मन्दिर (Alopi Devi Mandir) भारतीय धार्मिक स्थल है, जो प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर अलोपी देवी को समर्पित है, जो मां दुर्गा के रूप में पूजी जाती हैं। यहां कई श्रद्धालु आते हैं और इसे धार्मिकता और आध्यात्मिकता के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में माना जाता है। यहां विशेष अवसरों पर पूजाओं और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
यहाँ विजिट करने के लिए आपको कोई भी शुल्क देने की जरुरत नही है. आप यहाँ free में घूम सकते है .
अलोपी देवी मन्दिर (Alopi Devi Mandir) से जुड़ी कुछ प्रमुख जानकारी
स्थान | प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत |
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देवी | अलोपी देवी (मां दुर्गा के रूप में) |
मंदिर का निर्माण | धार्मिक और धार्मिक स्थल के रूप में इस्तेमाल |
प्रमुख आकर्षण | धार्मिक आयोजन और पूजा |
अन्य विशेषताएँ | धार्मिक कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण स्थल |
प्रयागराज का खुसरो बाग – Khusro Bagh
खुसरो बाग प्रयाग में घूमने के सबसे प्रमुख जगह में से एक है खुसरो बाकी संरचना मुगल वास्तुकला को ध्यान में रखकर बनाई गई है .इसकी डिजाइन बलुआ पत्थर के मकबरे की है जो शाह बेगम और खुसरो मिर्जा और निथार बेगम सहित मुगल
राज घरानों को श्रद्धांजलि देता है. इस बाग़ में अमरूद और गुलाब के पेड़ो का एक विस्तृत बाग़ है. यहां के अमरूदों का निर्यात विदेश में भी किया जाता है.
खुसरो सम्राट जहांगीर के सबसे बड़े बेटे का नाम था. प्रयागराज शहर की पश्चिमी छोर में प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पास खुसरो बाग स्थित है. यह बाग मुगलकालीन इतिहास की एक विशेष धरोहर है. लगभग 17 बीघे में फैला यह विशाल क्षेत्र चारों ओर से मोटे-मोटे दीवारों से घेरा गया है.
खुसरो बाग प्रयाग से जुड़ी कुछ प्रमुख जानकारी
स्थान | प्रयागराज , उत्तर प्रदेश, भारत |
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निर्माणकर्ता | मुग़ल सम्राट |
ऐतिहासिक महत्व | मुग़ल राजवंश के कई शानदार मकबरे, जैसे कि शाहजहां के पुत्र खुसरो का मकबरा |
वास्तुकला | मुग़ल वास्तुकला शैली |
विशेषताएँ | – मकबरे |
– बगीचा | |
महत्वपूर्ण मकबरे | – शाहजहां के पुत्र खुसरो मिर्ज़ा का मकबरा |
– अन्य मुग़ल शाहजादों के मकबरे | |
वर्तमान स्थिति | ऐतिहासिक स्थल का अच्छी तरह से रखरखाव किया जाता है |
पहुँच | सार्वजनिक के लिए खुला है |
लेटे हनुमान मन्दिर (Lete Hanuman Temple)
वैसे तो आपको हनुमान जी के कई मंदिर देखने को मिल जायेंगे. लेकिन सबसे प्राचीन लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर प्रयागराज में ही स्थित है. कहा जाता की पूरी दुनिया में मात्र यही वह जगह है जहाँ पर भगवान हनुमान लेते हुए थे.
अगर आप प्रयागराज घुमने का प्लान बना रहे है तो आपको लेटे हुए हनुमान मंदिर का दर्शन आवश्य करना चाहिए. यहाँ आप बिना कोई शुल्क दिए प्रभू के दर्शन कर सकते है.
लेटे हनुमान मन्दिर (Lete Hanuman Temple)जुड़ी कुछ प्रमुख जानकारी
विशेषता | विवरण |
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स्थान | संगम के पास, प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश, भारत |
देवता | भगवान हनुमान |
विशेष विशेषता | भगवान हनुमान की लेटी हुई (सोई हुई) प्रतिमा |
सांस्कृतिक महत्व | मुख्य तीर्थ स्थल, विशेष रूप से कुंभ मेला और अन्य त्योहारों के दौरान |
बाढ़ की घटना | मानसून के दौरान मंदिर अक्सर जलमग्न हो जाता है, प्रतिमा बिना क्षति के रहती है |
पहुँच | सार्वजनिक के लिए खुला |
नजदीकी आकर्षण | संगम (गंगा, यमुना, और सरस्वती नदियों का संगम) |
conclusión
तो ये है प्रयागराज में घुमने के कुछ प्रमुख जगहों कि लिस्ट. हमें उम्मीद है कि आजका यह ब्लॉग आपको पसंद आया होगा. प्रयागराज जो कि भारत के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है. जहाँ कि अपनी अलग ही एक वाइब्स है. जिस शहर की कई बड़े राजनेता कि जन्म दिया. वह शहर है प्रयागराज.