वाराणसी, जिसे बनारस या काशी भी कहा जाता है, एक ऐसा शहर है जो आध्यात्मिकता और संस्कृति से भरपूर है। पवित्र गंगा नदी के तट पर बसा यह शहर एक असीम सुख और शांत शहर है. कहते है काशी महादेव (lord shiva) का शहर है.यहां की हवा, लोगो के रहने का ढंग , इस शहर का मिजाज आपको मोह लेगी. अगर आप बनारस में घूमने की जगह ( banaras mein ghumne ki jagah) सर्च कर रहे है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आये है. आज के इस ब्लॉग में हम बनारस में घूमने के लिए 10 सर्वश्रेष्ठ जगहों पर चर्चा करेंगे।
1- काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple, Varanasi)
वाराणसी का दिल यानी काशी विश्वनाथ मंदिर भारत के सबसे पवित्र मंदिरों में काशी विश्वनाथ मंदिर का नाम भी आता है जो कि भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर जिसे स्वर्ग मंदिर भी कहा जाता है 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इस मंदिर का मुख्य आकर्षण पवित्र ज्योतिर्लिंग और इसकी अनोखी एवं मनोहर बनाती है मंदिर के सुनहरे शिखर और गुंबद इसे और ज्यादा आकर्षक बनाती है
इस मंदिर की वर्तमान संरचना 1780 में अहिल्याबाई होलकर के द्वारा दिया गया था और 1835 में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा स्वर्ण दान किया गया था इस मंदिर में महाशिवरात्रि दीपावली और श्रावण मास नमक त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है इस मंदिर की वास्तुकला शैली उत्तर भारतीय नगर शैली है
अगर आप काशी विश्वनाथ मंदिर आरती का अनुभव करना चाहते है तो आपको सुबह मंदिर पहुंचना होगा.
Aspect | Details |
---|---|
स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
देवता | भगवान शिव |
महत्व | बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक |
ऐतिहासिक जड़ें | प्राचीन, विध्वंस और पुनर्निर्माण का इतिहास |
वर्तमान संरचना निर्मित | 1780 में अहिल्याबाई होल्कर द्वारा |
स्वर्ण शिखर दान | 1835 में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा |
मुख्य त्यौहार | महाशिवरात्रि, दिवाली, श्रावण मास |
दैनिक अनुष्ठान | मंगला आरती, भोग आरती, संध्या आरती |
विशेष परियोजना | काशी विश्वनाथ कॉरिडोर |
तीर्थ यात्रा का महत्व | हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक |
वास्तुकला शैली | उत्तर भारतीय नागर शैली |
2- दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat)
दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat) को लेकर ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव का स्वागत करने दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat) का निर्माण किया था अगर आप वाराणसी में घूमने की जगह(varanasi me ghumne ki jagah) देख रहे हैं तो दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat) आपके लिए की अच्छा विकल्प है.
इस घाट का मुख्य आकर्षण रोज शाम को होने वाली गंगा आरती है जो मंत्र मुग्ध कर देने वाली पूजा की रस्म है जिसमें दीपक जलाया जाता है और मंत्र एवं संगीत होता है दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat) पर गंगा में तैरते हुए सैकड़ो दीपक का दृश्य सभी का मन मोह लेती है.
दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat) से सम्बंधित कुछ अन्य रोचक जानकारी नीचे टेबल में दी गयी है.
Aspect | Details |
---|---|
स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
नदी | गंगा नदी के किनारे |
पौराणिक उत्पत्ति | भगवान ब्रह्मा द्वारा भगवान शिव का स्वागत करने के लिए निर्मित |
नाम का अर्थ | “दस अश्वमेध यज्ञ का घाट” |
आध्यात्मिक महत्व | हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए पूजनीय स्थान |
मुख्य आकर्षण | शाम की गंगा आरती |
तीर्थ गतिविधि | गंगा में पवित्र स्नान |
लोकप्रिय गतिविधियाँ | गंगा में नाव की सवारी |
मुख्य त्योहार | दिवाली, देव दीपावली, मकर संक्रांति |
निकटवर्ती आकर्षण | काशी विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट, अस्सी घाट |
सुलभता | आसानी से सुलभ, पास में आवास और परिवहन की सुविधा |
बाजार क्षेत्र | स्थानीय शिल्प और स्ट्रीट फूड के साथ व्यस्त बाजार |
3- सारनाथ (Sarnath)
सारनाथ (Sarnath) वह भूमि है जहां पर भगवान बुद्ध ज्ञान प्रताप की बाद अपना प्रथम उपदेश दिया था. सारनाथ (Sarnath) चार मुख्य बौद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है।
सारनाथ (Sarnath) वाराणसी से सिर्फ 10 किलोमीटर की दूरी पर है. अगर काशी में घूमने का प्लान बनाये तो आपको एक बार सारनाथ जरूर आना चाहिए। यहां पर आपको भगवान बुद्ध से रिलेटेड काफी कुछ देखने को मिलेगा.
अगर आप सारनाथ आने का प्लान बनाये तो सुबह या देर दोपहर के समय सबसे बढ़िया रहता हैं क्योंकि इस समय यहां पर भीड़ कम होती है और रोशनी भी उत्तम मिल जाती है जिससे अगर आप फोटोग्राफी करना चाहते हैं तो कर सकते हैं.
नीचे टेबल में कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी है. जिससे आप सारनाथ के बारे में और ज्यादा जान सकें.
Aspect | Details |
---|---|
स्थान | वाराणसी से लगभग 10 किलोमीटर उत्तर-पूर्व, उत्तर प्रदेश, भारत |
महत्व | बौद्ध धर्म के चार मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक |
ऐतिहासिक घटना | बुद्ध का पहला उपदेश (धर्मचक्र प्रवर्तन) |
सम्राट अशोक | लगभग 234 ईसा पूर्व स्तूप और स्मारकों का निर्माण |
मुख्य आकर्षण | धमेक स्तूप, चौखंडी स्तूप, अशोक स्तंभ, सारनाथ पुरातत्व संग्रहालय, मूलगंध कुटी विहार |
तीर्थ गतिविधियाँ | ध्यान, बौद्ध शिक्षाओं का अध्ययन, धार्मिक गतिविधियों में भाग लेना |
त्योहार | बुद्ध पूर्णिमा |
सुलभता | वाराणसी से सड़क द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ, अच्छी परिवहन सुविधाएं |
आवास | विभिन्न होटल, गेस्ट हाउस, और मठ |
पर्यटन | ऐतिहासिक, पुरातात्विक, और वास्तुकला संबंधी रुचि |
4- अस्सी घाट (Assi Ghat)
जब भी वाराणसी में घूमने लायक सबसे उत्तम जगह की बात होती है तो उसमेंअस्सी घाट (Assi Ghat) का नाम जरूर आता है।अस्सी घाट (Assi Ghat) वाराणसी का सबसे दक्षिणी घाट, जो कि अस्सी नदी और गंगा नदी के संगम पर स्थित है.
यह अपने शांत वातावरण और अनोखी बनावट के लिए जानी जाती है अस्सी घाट स्थानीय लोगो के साथ पर्यटक का भी पसंदीदा स्थान है
अस्सी घाट (Assi Ghat) का सुबह की योगा क्लास और शाम की आरती फेमस है जिससे मन में शांत और आध्यात्मिकता का अनुभव होता है.
प्रमुख त्यौहार : महाशिवरात्रि, गंगा दशहराऔर मकर संक्रांति अस्सी घाट (Assi Ghat) पर बड़े धूम धाम से मनाया जाता है.
अस्सी घाट (Assi Ghat) से रिलेटेड कुछ प्रमुख जानकारी नीचे टेबल में दी गयी है.
पहलू | विवरण |
---|---|
स्थान | वाराणसी का सबसे दक्षिणी घाट, अस्सी नदी और गंगा नदी के संगम पर |
ऐतिहासिक महत्व | देवी दुर्गा और अस्सी नदी की उत्पत्ति से जुड़ा |
आध्यात्मिक महत्व | तीर्थयात्रियों के लिए पवित्र स्नान का लोकप्रिय स्थान |
मुख्य आकर्षण | पीपल के पेड़ के नीचे बड़ा शिवलिंग, सुबह का सुभ-ए-बनारस कार्यक्रम, शाम की गंगा आरती |
त्योहार | महाशिवरात्रि, गंगा दशहरा, मकर संक्रांति |
तीर्थ गतिविधियाँ | गंगा में अनुष्ठान, पवित्र स्नान |
योग और ध्यान | योग सत्र और ध्यान अभ्यास के लिए जाना जाता है |
नाव की सवारी | गंगा पर दर्शनीय नाव की सवारी |
सांस्कृतिक कार्यक्रम | शास्त्रीय संगीत और नृत्य प्रदर्शन |
निकटवर्ती आकर्षण | तुलसी घाट, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), दशाश्वमेध घाट, केदार घाट |
सुलभता | अच्छे परिवहन विकल्पों के साथ आसानी से सुलभ |
आवास | विभिन्न होटल, गेस्ट हाउस, और आश्रम |
बाजार क्षेत्र | स्थानीय शिल्प, स्मृति चिन्ह, और भोजन की पेशकश करने वाले बाजार |
5- रामनगर किला (Ramnagar Fort )
रामनगर किला (Ramnagar Fort ) गंगा के पूर्वी किनारे पर स्थित है जो कि काशी के राजा बलवंत सिंह के द्वारा बनवाया गया था.
रामनगर किला (Ramnagar Fort ) के मुख्य आकर्षण का केंद्र इसके अंदर राजा की पुरानी कार, राजा की पोशाक, मध्यकालीन हथियार, हाथी के दांत जैसी अन्य चीज संग्रहालय में रखी गई है. जो कि यहां की आकर्षक का प्रमुख कारण है
यहां पर दशहरा की दौरान एक महीने जितना लंबा रामलीला का सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होता है
रामनगर किला (Ramnagar Fort ) से रिलेटेड कुछ प्रमुख जानकारी नीचे टेबल में दी गयी है.
पहलू | विवरण |
---|---|
स्थान | रामनगर, गंगा नदी के पूर्वी तट पर, वाराणसी के विपरीत, उत्तर प्रदेश, भारत |
निर्माण वर्ष | 1750 |
निर्माता | काशी नरेश राजा बलवंत सिंह |
वास्तुकला शैली | मुगल शैली, मलाई रंग के बलुआ पत्थर से निर्मित |
वर्तमान निवासी | बनारस के महाराजा (काशी नरेश) |
मुख्य आकर्षण | व्यास मंदिर, महाराजा का आवासीय क्षेत्र, रामनगर किला संग्रहालय (सरस्वती भवन), घड़ी टॉवर, ज्योतिषीय घड़ी |
संग्रहालय मुख्य आकर्षण | पुरानी कारें, प्राचीन पांडुलिपियाँ, प्राचीन हथियार, हाथी दांत के काम, मध्ययुगीन पोशाकें |
सांस्कृतिक कार्यक्रम | दशहरा के दौरान एक महीने लंबा रामलीला प्रदर्शन |
धार्मिक महत्व | विशेष रूप से त्योहारों के दौरान तीर्थ स्थल |
प्रवेश शुल्क | लागू (भिन्न होता है, वर्तमान दरें देखें) |
मार्गदर्शित दौरे | उपलब्ध |
निकटवर्ती आकर्षण | वाराणसी घाट, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), सारनाथ |
सुलभता | वाराणसी से सड़क मार्ग द्वारा सुलभ; गंगा पार नाव की सवारी उपलब्ध |
6- बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU)
जब भी एशिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालय की बात की जाती है तो उसमें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) का नाम जरूर आता है।
इसकी स्थापना 1916 में पंडित मदन मोहन मालवीय और एनी बेसेंट के द्वारा किया गया था. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) भारत का सबसे ओल्डेस्ट यूनिवर्सिटीज में से एक है. इसका कैंपस 1300 एकड़ में फैला हुआ है.
इस यूनिवर्सिटी के अंदर Science (IIT BHU & MBBS ) और Art हर प्रकार के विषय उपलब्ध हैं।
अगर आप वाराणसी घूमने की जगह (varanasi me ghumne ki jagah) सर्च कर रहे है. और वाराणसी विजिट करने का प्लान बना रहे है तो आपको तो आपको बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) भी जरूर घूमना चाहिए.
पहलू | विवरण |
---|---|
स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
स्थापना वर्ष | 1916 |
संस्थापक | पंडित मदन मोहन मालवीय, एनी बेसेंट के समर्थन में |
प्रकार | सार्वजनिक केंद्रीय विश्वविद्यालय |
कैंपस | 1300 एकड़ में फैला, हरित वातावरण |
कार्यक्रम | कला, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, वाणिज्य, शिक्षा, कानून, प्रदर्शन कला, दृश्य कला, इंजीनियरिंग, चिकित्सा विज्ञान, प्रबंधन अध्ययन, कृषि |
पुस्तकालय | मुख्य पुस्तकालय और कई विभागीय पुस्तकालय, विस्तृत संग्रह |
हॉस्टल | पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग आवासीय सुविधाएँ |
सुविधाएँ | खेल की सुविधाएँ, स्वास्थ्य सेवाएं, ऑडिटोरियम, सांस्कृतिक केंद्र |
सांस्कृतिक महत्व | शैक्षिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति को प्रोत्साहन |
आयोजन | सांस्कृतिक कार्यक्रम, सेमिनार, सम्मेलन |
महत्वपूर्ण पुरालेखी | नेता, विद्वान, कलाकार ने विभिन्न क्षेत्रों में योगदान |
7- Sankat Mochan Hanuman Temple, Varanasi
संकट मोचन हनुमान मंदिर (Sankat Mochan Hanuman Temple, Varanasi) भगवान हनुमान को समर्पित है। इसकी स्थापना 16वीं सदी में तुलसीदास जी के द्वारा किया गया था जो की रामचरितमानस के रचयिता हैं।
यह मंदिर पारंपरिक हिंदू वास्तु कला सरलता और आध्यात्मिक वातावरण को बढ़ावा देती है इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार को हनुमान भगवान को सेलिब्रेट किया जाता है अगर आप वाराणसी घूमने आ रहे हैं तो आपको संकट मोचन हनुमान मंदिर जरूर देखना चाहिए.
पहलू | विवरण |
---|---|
स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
समर्पित | भगवान हनुमान |
संस्थापक | श्री तुलसीदास, रामचरितमानस के रचयिता, ने शुरुआत में 16वीं सदी में स्थापित किया |
वास्तुकला | पारंपरिक हिंदू वास्तुकला, सरलता और आध्यात्मिक वातावरण को बढ़ावा देने का ध्यान रखती है |
महत्व | आध्यात्मिक महत्व के लिए पूज्य, और विश्वास किया जाता है कि भक्तों की इच्छाएँ पूरी होती हैं |
त्योहार | हनुमान जयंती और मंगलवार को विशेष उत्सव |
स्थान | अस्सी घाट के निकट, गंगा नदी के किनारे |
8- Durga Temple, Varanasi
भारत की कई महत्वपूर्ण मंदिर वाराणसी में है. वाराणसी की सबसे फेमस मंदिरों में दुर्गा मंदिर(Durga Temple) का नाम भी आता है। जिसे दुर्गा कुंड मंदिर के नाम से भी जाना जाता है यह मंदिर हिंदू धर्म के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है इसका निर्माण 18वीं शताब्दी में नेटवर्क की रानी भवानी के द्वारा करवाया गया था. अगर आप वाराणसी घूमने आ रहे है तो आपको दुर्गा कुंड मंदिर(Durga Temple) जरूर घूमना चाहिए.
पहलू | विवरण |
---|---|
स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
समर्पित | देवी दुर्गा, हिंदू धर्म में शक्ति की एक अवतार। |
महत्व | दुर्गा मंदिर स्थानीय और आगंतुकों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। |
वास्तुकला | मंदिर उत्तर भारतीय नागरा शैली की वास्तुकला के प्रतिष्ठान में है। |
त्योहार | इस मंदिर में देवी दुर्गा के नौ दिन के नवरात्रि उत्सव का धूमधाम से आयोजन किया जाता है। |
पहुंच | वाराणसी के शहर के दिल में स्थित है, इसलिए यह स्थानीय और पर्यटकों के लिए सुलभ है। |
9- Gyan Vapi Well, Varanasi
ज्ञान वापी कुआं (Gyan Vapi Well, Varanasi) जिसे ज्ञान का कुआं भी कहा जाता है. यह काशी विश्वनाथ मंदिर के परिसर में स्थित है. ऐसा माना जाता है कि मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में भगवान शिव की मूल ज्योतिर्लिंग को संरक्षण के लिए इस कुएं में छुपाया गया था.
अगर आप वाराणसी घूमने के मन बना रहे है तो आपको ज्ञान वापी कुआं जरूर घूमना चाहिए।
पहलू | विवरण |
---|---|
स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
महत्व | ज्ञान वापी कुआं, जिसे ज्ञान का कुआं भी कहा जाता है, काशी विश्वनाथ मंदिर के परिसर में स्थित है |
इतिहास | मान्यता है कि मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब के शासनकाल में भगवान शिव का मूल ज्योतिर्लिंग को संरक्षण के लिए कुआं में छुपाया गया था |
वास्तुकला | कुआं परंपरागत हिंदू वास्तुकला के तत्वों को दिखाता है और भक्तों के लिए पवित्र माना जाता है |
कथा | स्थानीय विश्वास के अनुसार, ज्ञान वापी कुआं की यात्रा पुण्यकालीन मानी जाती है और आध्यात्मिक जागरूकता प्रदान करती है |
पहुंच | काशी विश्वनाथ मंदिर के आगे स्थित होने के कारण, यात्रियों के लिए उपलब्ध है |
10 – St. Mary’s Church, Varanasi
वाराणसी में घूमने के प्रसिद्ध स्थान में सेंट मेरीज़ चर्च (St. Mary’s Church, Varanasi) का भी नाम आता है। जो की एक प्राचीन गिरजा है.
इसका निर्माण 19वीं सदी के शुरुआत में हुआ था। यह चर्च कोलोनियल वास्तुकला का प्रतीक है, जो इसके इतिहासिक महत्व और निर्माण के युग को दर्शाता है।
ईसाई समुदाय के लिए सेंट मेरीज़ चर्च (St. Mary’s Church, Varanasi) एक ऐतिहासिक महत्वपूर्ण जगह है अगर आप वाराणसी घूमने आए तो आपको सेंट मेरीज़ चर्च (St. Mary’s Church, Varanasi) को भी विकसित कर सकते हैं
पहलू | विवरण |
---|---|
स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
इतिहास | सेंट मेरीज़ चर्च वाराणसी का एक प्राचीन गिरजा है, जो 19वीं सदी की शुरुआत में बनाई गई थी। |
वास्तुकला | यह चर्च कोलोनियल वास्तुकला का प्रतीक है, जो इसके इतिहासिक महत्व और निर्माण के युग को दर्शाता है। |
महत्व | यह वाराणसी में ईसाइयों की समुदाय के लिए धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखती है। |
सेवाएं | नियमित सेवाएं और मिसा का आयोजन समुदाय और भक्तों के लिए किया जाता है। |
पहुंच | वाराणसी के शहर के दिल में स्थित है, इसलिए यह स्थानीय और पर्यटकों के लिए सुलभ है। |
Frequently Asked Questions
बनारस में क्या प्रसिद्ध है?
यूं तो काशी अपने मंदिरो, महलो, और अलग मिज़ाज़ के लिए जानी ही जाती है. लेकिन अगर आप खाने पीने और पहनने के शौकीन है तो वाराणसी आपके लिए बिल्कुल सही जगह है. वाराणसी में आपको बनारसी पान, बनारसी साड़ी, लस्सी, और मिठाइयाँ जो की दूर तक फेमस है. का लुफ्त उठा सकते है.
वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है?
वाराणसी जिसे काशी या बनारस भी कहते है. यह भारत के सबसे प्राचीन और धार्मिक शहरो में से एक है. यह नगर हिन्दू धर्म के लिए एक पावन धरती है. गंगा नदी के किनारे बसा यह नगर अपनी संस्कृति, बेबाक अंदाज, और प्राचीन मंदिरो और महलो के लिए प्रसिद्ध है.
इसके अलावा वाराणसी बौद्ध एवं जैन धर्म में भी पवित्र माना जाता है।
बनारस में रुकने की जगह ?
वैसे तो वाराणसी में होटलो की कोई कमी नहीं है. अगर आप बनारस में रुकने की जगह (banaras me rukne ki jagah) की बात करे तो यहां पर कई आश्रम , paying guest rooms , और सस्ते और प्रीमियम होटल्स मिल जायेगे.
इसे भी पढ़े : Top 10 please visit in Delhi (Delhi me ghumne ki jagah)